" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "
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आप ग़ज़ल कहते हैं; ब्लोगरी के दौरान आपका परिचय के रूप में जाना था.
ReplyDeleteआप चित्रकारी भी खूब करते हैं; अब जाना.
कोशिश रहेगी अब जाना लगा रहेगा.
- Sulabh
चित्र के शेड आकर्षक लगे
ReplyDeleteजे. कृष्णमुर्ती जी का स्व और आत्म लेबल के सारे लेख अच्छे लगे
आपके ब्लॉग का पता मिलना सुखदायी रहा
धन्यवाद
KHOOBSURAT
ReplyDelete" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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